अंतरिक्ष से भारत का संदेश: PM Modi ने Shubhanshu Shukla से की ऐतिहासिक बातचीत, PM Modi ने Shubhanshu Shukla से जाना अंतरिक्ष का हाल, गगनयान पर भी हुई बात
आज एक ऐतिहासिक पल में, प्रधानमंत्री PM Modi ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद भारतीय ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla से सीधी बातचीत की।1 इस बातचीत में PM Modi ने Shubhanshu के अनुभवों को जाना, उनसे देश के युवाओं के लिए संदेश माँगा और भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों पर चर्चा की। यह बातचीत भारत के अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों और एक नए आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर पेश करती है।
PM Modi और Shubhanshu Shukla के बीच हुई पूरी बातचीत का अंश यहाँ दिया गया है:
अंतरिक्ष यात्री शुभान्शु शुक्ला से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूछे गए 11 प्रश्न ?
PM Modi (प्रश्न 1): नमस्कार Shubhanshu, आप आज मातृभूमि से सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभ आरंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूँ, तो सबसे पहले तो यह बताइए, वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी विशेज का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के विशेज का। मैं यहां बिल्कुल ठीक हूँ, सुरक्षित हूँ। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है ये और कहीं न कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं जो दर्शाती हैं कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। ये जो मेरी यात्रा है, ये पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 कि.मी. तक की जो छोटी सी यात्रा है, ये सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं न कहीं हमारे देश की भी यात्रा है, क्योंकि जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूँ, लेकिन मुझे लगता है आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व फील कर रहा हूँ कि मैं यहां पे अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूँ। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी।
PM Modi (प्रश्न 2): Shubhanshu, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी न के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, ये कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेके आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस।2 और मैं चाहता था कि ये बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वो भी इसका स्वाद लें और जो भारत का जो रिच कलिनरी हमारा जो हेरिटेज है, उसके उसका एक्सपीरियंस लें। तो हम सभी ने बैठ के इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया है कि कब वो नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ।
PM Modi (प्रश्न 3): Shubhanshu, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, इस समय तो मेरे पास यह इन्फॉर्मेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से विंडो से बाहर देख रहा था तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे। और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त, सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से। और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है इस इस परिक्रमा में इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28,000 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त। और यह गति पता नहीं चलती, क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं न कहीं ये गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है इस समय कि हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।
PM Modi (प्रश्न 4): अच्छा Shubhanshu, अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहला विचार क्या आया आपको?
Shubhanshu Shukla: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्bit में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था वो पृथ्वी का था। और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला जो पहला ख्याल और पहला जो थॉट मन में आया वो ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत नोटिसेबल थी जब पहली बार भारत को देखा तो हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वो मैप पे देखते हैं, लेकिन वो सही नहीं होता, क्योंकि वो एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पे हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है, जितना हम मैप पे देखते हैं उससे कहीं ज्यादा बड़ा। और जो वननेस की फीलिंग है, पृथ्वी की वननेस की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता वो बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्सिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य नहीं एक्सिस्ट करता है, कंट्रीज नहीं एक्सिस्ट करतीं। फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सब के सब उसके सिटीजंस हैं।
PM Modi (प्रश्न 5): Shubhanshu, स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है, लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं। वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे एडेप्ट कर रहे हैं?
Shubhanshu Shukla: यहां पे तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी। ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे एक साल में, सारे सिस्टम्स के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था, लेकिन यहां आते ही सडनली सब चेंज हो गया। क्योंकि हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है। पर यहां आने के बाद कि ग्रेविटी माइक्रो ग्रेविटी है, एब्सेंट है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा। और माइक जैसी चीजें हैं, इसको खोल भी तो भी ये ऐसे फ्लोट करता रहता है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है। आप छत पे सो सकते हैं, आप दीवारों पे सो सकते हैं, आप जमीन पे सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है तो थोड़ा सा यूज़ टू होने में एक-दो दिन लगते हैं।
PM Modi (प्रश्न 6): भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों है। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी भीतर में। भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफुलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं न कहीं ये मानता हूं कि भारत ऑलरेडी दौड़ रहा है और ये मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का। और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे। और माइंडफुलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं, नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं। और माइंडफुलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और काम अपने आप को काम रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं तो आप अच्छे डिसीजन ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हुए भोजन कोई भी नहीं कर सकता। तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो आई थिंक माइंडफुलनेस का बहुत इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में। तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाए तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को एडेप्ट करने में मदद करेंगी।
अंतरिक्ष से भारत का संदेश: PM Modi ने Shubhanshu Shukla से की ऐतिहासिक बातचीत
PM Modi (प्रश्न 7): आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने सात यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर ले आया हूं। और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वो है स्टेम सेल्स के ऊपर। सो अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी की एब्सेंस होती है तो लोड खत्म हो जाता है तो मसल लॉस होता है। तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है वो यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इम्प्लिकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है ओल्ड एज की वजह से, तो उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है वो माइक्रोएल्ग की ग्रोथ के ऊपर और ये माइक्रोएल्गी बहुत छोटे होते हैं लेकिन बहुत न्यूट्रिशियस होते हैं। तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पे और ऐसा प्रोसेस इजाज़त करें कि ये ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सकें और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें तो कहीं न कहीं ये फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का वो ये है कि ये जो प्रोसेस है यहां पे बहुत जल्दी होते हैं तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती।
PM Modi (प्रश्न 8): चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रुचि पैदा हुई। अंतरिक्ष को एक्सप्लोर करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वे यह सोचते हैं मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशनंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?
Shubhanshu Shukla: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए हमें आप सबकी जरूरत है। तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए मैं यह कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है वो यह होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए। नेवर स्टॉप ट्राइंग। अगर आपने यह मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पे हो, कहीं पे भी हो लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए पर आएगी जरूर। मुझे पक्का विश्वास है।
PM Modi (प्रश्न 9): आपकी यह बातें तो देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी। और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती है तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशन्स में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।
Shubhanshu Shukla: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल यह पूरा मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान जो मुझे लेसंस मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है वो सब एक स्पोंज की तरह मैं अब्सॉर्ब कर रहा हूं। और मुझे यकीन है कि ये सारी चीजें बहुत वैल्यूएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होंगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशन्स में इनके लेसंस अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। क्योंकि मेरे मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं न कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पे जा सकते हैं जो सुन के मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्दी ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी जो सीख मुझे यहां मिल रही है वो मैं वापस आ के उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100% अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।
PM Modi (प्रश्न 10): Shubhanshu, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका यह संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपका परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था। और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। Shubhanshu, आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया। मैं जानता हूं आपके जिम्मे बहुत काम है और 28,000 कि.मी. की स्पीड से काम कर रहे हैं। आपको तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि यह भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, यह हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं कुछ और भी सुनने की इच्छा है आपके मन में, क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता। आपके मन में जो भाव है, अगर वह आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए। धन्यवाद।
Shubhanshu Shukla: प्रधानमंत्री जी, यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने। लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे मुझे पर्सनल एकंप्लिश्मेंट तो एक है ही लेकिन कहीं न कहीं मुझे ये लगता है कि ये हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो ये देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा। और केवल एक बात अपने मन में रखिए, दैट स्काई इज नेवर द लिमिट। ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए। और यह बात हमेशा अगर आपने मन में रखी तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे। और बस मेरा यही मैसेज है। प्रधानमंत्री जी, और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आपके थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का जो ये देख पा रहे हैं। ये ये जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, ये यहां नहीं था आज कल कल के पहले। जब मैं यहां पे आया हूं तब हमने यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देख के कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।
PM Modi (प्रश्न 11): Shubhanshu, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। Shubhanshu, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारत का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय।
Shubhanshu Shukla: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय।