Thursday, August 14, 2025
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आदि पेरुक्कु (Aadi Perukku): तमिल संस्कृति का जल उत्सव

    1. आदि पेरुक्कु(Aadi Perukku)का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व

आदि  पेरुक्कु तमिल संस्कृति में नदियों और जल स्रोतों की पूजा का विशेष पर्व है। यह हर साल तमिल मास ‘आदि ‘ की 18वीं तिथि को मनाया जाता है, जब नदियों में जल स्तर बढ़ता है। “पेरुक्कु” का अर्थ है “भराव” या “जल का प्रवाह”। कावेरी नदी को देवी के रूप में पूजते हुए इस दिन महिलाएं नदी किनारे पूजा करती हैं। यह पर्व जल, जीवन और कृषि से जुड़े गहरे संबंध को दर्शाता है और किसानों के लिए यह नई फसल की शुरुआत का प्रतीक है।

Aadi 18 festival,आदि पेरुक्कु

   2.आदि पेरुक्कु (Aadi Perukku) का पर्व की प्रमुख परंपराएं और रीति-रिवाज

आदि पेरुक्कु जल उत्सव के दिन महिलाएं विशेष श्रृंगार कर नदी तट पर जाती हैं और देवी कावेरी को पुष्प, दीप, फल व नारियल अर्पित करती हैं। यह दिन विशेष रूप से महिलाओं और कन्याओं के लिए शुभ माना जाता है। आदि  पेरुक्कु तमिल संस्कृति में पिकनिक की तरह, परिवार नदी किनारे पारंपरिक भोजन बनाते हैं जैसे नींबू चावल, इमली चावल, दही चावल और नारियल चावल। दीपदान, जल अर्पण और तर्पण जैसी क्रियाएं इस दिन आम हैं। विवाहिता महिलाएं अपने वैवाहिक सुख और परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

आदि  पेरुक्कु(Aadi Perukku) कब और कहां मनाया जाता है?

तिथि: तमिल मास आडी की 18वीं तिथि (आमतौर पर 2 या 3 अगस्त)

        स्थान: प्रमुख रूप से तमिलनाडु में, विशेष रूप से कावेरी नदी के तटों पर

       समुदाय: यह पर्व न केवल ग्रामीण किसानों के लिए, बल्कि शहरी परिवारों और महिलाओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है

Aadi 18 festival,आदि पेरुक्कु

    3.आधुनिक युग में आदि पेरुक्कु का उत्सवसमुदाय:

आदि पेरुक्कु यह पर्व न केवल ग्रामीण किसानों के लिए, बल्कि शहरी परिवारों और महिलाओं के लिए भी विशेष महत्व रखता  है।आज भी तमिलनाडु में आदि  पेरुक्कु बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है, हालांकि अब लोग इसे घरों या पास के जलाशयों पर भी मना लेते हैं। शहरी क्षेत्रों में भी लोग इस परंपरा को जीवित रखते हुए जल स्रोतों की पूजा करते हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस त्योहार को साझा करते हैं। यह अब एक पारिवारिक मिलन, सामूहिक भोज और सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है, जहां आधुनिकता और परंपरा का सुंदर मेल देखने को मिलता है।

 4.आदि पेरुक्कु (Aadi Perukku) का पर्यावरणीय संदेश और सामाजिक महत्व

Aadi Perukku केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जल संरक्षण का प्रतीक भी है। यह हमें नदियों की पवित्रता, जल-संसाधनों की महत्ता और प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान का संदेश देता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी है। साथ ही, यह आदि पेरुक्कु त्योहार स्त्रियों के सामाजिक योगदान और पारिवारिक जीवन में उनके स्थान को भी रेखांकित करता है।

निष्कर्ष: Aadi Perukku – परंपरा, प्रकृति और परिवार का संगम

Aadi Perukku केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि तमिल संस्कृति की आत्मा है। यह पर्व हमें जल, जीवन और धरती के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर देता है। आधुनिक युग में भी जब हम तकनीक से घिरे हुए हैं, ऐसे पर्व हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं

यदि आप भी तमिलनाडु की यात्रा करें, तो Aadi Perukku के समय कावेरी नदी के किनारे अवश्य जाएं और इस सुंदर परंपरा का अनुभव करें।

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